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पेन्सिल और दूसरी नज्में

190.00

पेन्सिल और दूसरी नज्में

190.00

लेखक : जयंत परमार

लिप्यन्तरण : इश्राकुल इस्लाम माहिर

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Description

पेंसिल और दूसरी नज़्में: साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत इसी शीर्षक की उर्दू कृति का हिंदी अनुवाद है। यह जयंत परमार का उर्दू कविता-संग्रह है, जो अपनी विषय-वस्तु संबंधी व्यापकता एवं कलात्मक प्रतिबद्धता के कारण विशिष्ट है। इसकी शैली सुबोध है तथा कविताएँ अलंकार-विहीन हैं। इनका स्वर उत्साहपूर्ण एवं विवेकसम्मत है, जो कविता को आकर्षक बनाता है। जयंत परमार की शायरी को पढ़ते हुए पाठकों को कई अछूते और नए तजुर्बात होंगे। एक तरफ जहाँ उनकी पसंद के उर्दू साहित्य तथा दूसरी भाषाओं के शायरों और कई ललित कलाओं के विश्व प्रसिद्ध कलाकारों को उनकी नज़र से देखने का मौका मिलेगा, वहाँ यह भी महसूस होगा कि वह समाज के हाशिये पर समझे जाने वाले लोगों के अनुभव, संघर्ष और समस्याओं को आसान लफ़्ज़ों में अभिव्यक्त करते हैं। जयंत परमार की शायरी में आए हुए मंज़र, पैकर और तस्वीरें इतने प्रभावशाली और खूबसूरत हैं कि पढ़ने वाले के दिलो-दिमाग में हमेशा के लिए जगह बना लेते हैं। ‘पेंसिल और दूसरी नज़्में’ पढ़ते हुए कई बार यह सवाल उभरता है कि शायरी जयंत परमार के बसीले से मुसब्बिरी (चित्रकारी) कर रही है या मुसब्बिरी जयंत परमार के ज़रिये शायरी कर रही है।

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