Your notification message!

Selected:

गोरा

230.00

गोरा

230.00

लेखक: रवींद्रनाथ ठाकुर
बाङ्ला से हिंदी अनुवाद: सच्चिदानंद वात्स्यायन

Categories: , ,
Add to Wishlist
Add to Wishlist

Description

यह उपन्यास गोरा रवींद्रनाथ ठाकुर के लेखन-क्रम में पाँचवाँ तथा उनके 12 उपन्यासों में सबसे बड़ा है। यह कृति आधुनिक इतिहास के उस महत्त्वपूर्ण काल-खंड का महाख्यान है, जो सामाजिक और बौद्धिक चेतना के स्तर पर एक नवीन आंदोलन का दौर था। भारतीय सामाजिक जीवन की जटिलताओं का उसके अंतर्विरोधों के साथ सक्षम विश्लेषण करने वाली यह अन्यतम कृति है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीयतावादी चरित्रों तथा हिंदू धर्म की मौलिक और परिवर्द्धित अवधारणा तथा इसके विश्व मानवतावादी स्वरूप का रेखांकन किया है।
मूलतः बाङ्ला भाषा में रचित विगत शताब्दी की विश्व की श्रेष्ठतम कृतियों में से एक गोरा का यह प्रामाणिक हिंदी अनुवाद अन्यतम हिंदी कवि-कथाकार सच्चिदानंद वात्स्यायन द्वारा किया गया है।

Quick Navigation
×
×

Cart