विश्वनाथ प्रसाद तिवारी रचना – संयचन
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लेखक : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
चयन एवं संपादन : रेवती रमण
Description
एक सच्या संवेदनशील मनुष्य “देश-काल के शर से विंधकर” कैसे अपने अंतःकरण का आवतन विस्तीर्ण करता जाता है विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का उदाहरण सामने है। लगभग छह दशकों की रचना-यात्रा में वह लगातार सजग रहे हैं, आत्म सजग भी और शिल्प सजग भी। एक बड़े रचनाकार का काम किसी एक विधा से नहीं चल सकता। उपन्यास और महाकाव्य को अपवाद मानें तो कविता-आलोचना सहित साहित्य की कई लघु विधाओं में उनकी प्रयुक्तियाँ वेमिसाल हैं। कविता विश्वनाथ जी के सर्जक का मेरुदंड है। उनकी स्वकीय अभिव्यक्ति कविता है। साहित्य-समालोचक और निबंधकार के रूप में भी विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का योगदान महत्त्वपूर्ण है।