वेद शास्त्र संग्रह
₹300.00
संपादक: विश्वबंधु
संस्कृत से हिंदी अनुवाद: प्रभुदयाल अग्निहोत्री
Description
प्रस्तुत ग्रंथ वेद शास्त्र संग्रह में इस बात का प्रयत्न किया गया है कि इसमें वेदों और शास्त्रों की परिधि के अंतर्गत आने वाले संस्कृत वाङ्मय के सारे प्रमुख अंगों का समावेश हो जाए। इसका पद्य खंड प्रथम है, जिसमें ऋग्वेद के 81 सूत्र हैं, जो पाँच वर्गों में विभक्त हैं – 1) दैवत स्तोत्र, 2) जीवन-व्यवहार, 3) इतिहास, 4) आख्यान, 5) रहस्यवाद; अथर्ववेद के 40 सूक्त और यजुर्वेद के 6 पूर्ण अध्याय और प्रकीर्ण मंत्र, जो सब माध्यंदिन शाखा के हैं। फिर आठ उपनिषदों का एक या अधिक अंश, भगवद्गीता के प्रथम और द्वितीय अध्याय। द्वितीय खंड में गद्य भाग है। इसमें 1) पाँच वैदिक संहिताओं, 2) पाँच ब्राह्मणों, 3) दो आरण्यकों, 4) ग्यारह उपनिषदों, 5) पाँच वेदांग गं्रथों, 6) चार उपदेश ग्रन्थों, 7) तीन स्मृति और धर्मशास्त्र की मूल पुस्तकों, 8) चार मूल अलंकार ग्रन्थों और 9) बीस दर्शन विषयक पुस्तकों के चुने हुए अंशों में कुल 71 मूल पुस्तकों से सामग्री ली गई है।
इस पुस्तक के संपादक विश्वबंधु एक चर्चित वैदिक साहित्य विशेषज्ञ, लेखक, सामिाजिक कार्यकर्ता तथा शिक्षाविद् हैं।
इस ग्रंथ के अनुवादक प्रभुदयाल अग्निहोत्री हिंदी और संस्कृत के प्रकांड विद्वान तथा साहित्य वाचस्पति थे।