श्रेष्ठ हिंदी गीत संचयन
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भूमिका, चयन एवं संपादन: कन्हैया लाल नंदन
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Description
आधुनिक युग में जिस भावबोध और शैली के गीत लिखे गए, वे सीधे भारतीय गीत-परंपरा से यानी वैदिक सामगीतों, बौद्ध थेरीगाथाओं, सिद्धों के चर्यापदों और संतों-भक्तों की पदावलियों से अनुप्रेरित रहे हैं। आधुनिक गीतों का जन्म, भारतीय सांस्कृतिक नवजागरण के युग में पश्चिमी अंग्रेज़ी साहित्य के प्रभाव से उद्भूत स्वछंदतावाद-रोमांटिसिज़्म से हुआ है।
प्रस्तुत संचयन विगत शताब्दी के गीतों का एक प्रतिनिधि समुच्चय है, जिसमें मैथिलीशरण गुप्त के गीतों से लेकर हिंदी गीत के अद्यतन रूप तक की बानगी पाठकों को एक जगह मिल सकेगी। गीत की यह अनवरत यात्र लंबी भूमिका से समृद्ध है जो हिंदी गीत पर कार्यरत शिक्षार्थियों के शोध के लिए उतनी ही उपयोगी है, जितनी गीत प्रेमियों के पठन के लिए। हिंदी कविता प्रचलित मुहावरों को गीत में किस तरह इस्तेमाल करती रही, छायावाद युग ने हिंदी गीत को जो पुष्ट आधार दिया, उसमें परवर्ती गीत ने अपने समसामयिक जीवन को किस तरह रूपायित किया, इसे जानने के लिए यह संचयन एक अनिवार्य संदर्भ गं्रथ है। संकलन में एक सौ नब्बे कवियों के सवा तीन सौ गीत संगृहीत हैं और वे गीत अवश्य सम्मिलित हैं जिनकी श्रेष्ठता पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रतिष्ठित रही है किंतु जिन्हें एक जगह पा सकना असंभव था।
इस संचयन में गीतों का चयन हिंदी के विख्यात कवि-पत्रकार कन्हैयालाल नंदन ने किया है।