समकालीन हिंदी कविता
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संपादक : परमानंद श्रीवास्तव
Description
समकालीन कविता चाहे प्रेम की हो या राजनीतिक स्थिति या मानवीय संकट की-इतना निश्चित है कि एक खास समय की संवेदना इसके चित्रण के ढंग को ही नहीं, अनुभव के रूप अथवा प्रकृति को भी प्रभावित करती है। प्रस्तुत संकलन में अज्ञेय से लेकर स्वप्निल तक पचास से भी अधिक कवियों की प्रतिनिधि कविताएँ कालानुक्रम से संकलित हैं। साहित्य अकादेमी और इसके संपादक परमानंद श्रीवास्तव इस बात का दावा नहीं करते कि समकालीन कविता के प्रवृत्तिगत वैविध्य की दृष्टि से सभी कवियों की श्रेष्ठ या प्रतिनिधि कविताओं को इसमें स्थान मिल गया है। तो भी कोई संदेह नहीं कि यह संकलन उस बडे अभाव की पूर्ति करने में सक्षम है जिसकी कमी कविता के पाठकों को खल रही थी। यह संकलन प्रमाणित करता है कि आज की मुख्यधारा की कविता इन समस्याओं के प्रति सचेत रही है और जहाँ उसका मूल स्वर जीवनधर्मी है, वहीं उसमें अपने समय की जटिलता का सक्रिय तथा गहरा अहसास भी है।