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अचरज ग्रह की दन्तकथा

75.00

अचरज ग्रह की दन्तकथा

75.00

लेखक : ताजिमा शिन्जी

अनुवादक : हरीश नारंग

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Description

वर्तमान युग के अविवेकपूर्ण विकास की पहचान हो चली है-परस्पर अविश्वास, स्वार्थ, लालच और टकराव । अपनी संवेदना और सहानुभूति के बावजूद पुरानी और पिछली पीढ़ी अपनी गलतियों को दोहराती रही है। इसी पृष्ठभूमि में लिखित ताजिमा शिन्जी की इस पुस्तक में संकलित पाँचों कहानियाँ मानवीय अस्तित्व और आदर्श के विभिन्न पहलुओं को चित्रित करती हैं। हमें यह संदेश भी देती है कि मानवीय जीवन का उत्कर्ष केवल भौतिक सफलता प्राप्त करना नहीं।

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