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उपरवास कथात्रयी

650.00

उपरवास कथात्रयी

650.00

लेखक तथा अनुवादक : रघुवीर चौधरी

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Description

यह उपन्यास भाषा की लक्षणाशक्ति का विनियोग करता हुआ सरल और सुलझी शैली में आगे बढ़ता है। इसका यथार्थ बहुस्तरीय है, चरित्र केवल प्रतिनिधिक नहीं, संकुल भी हैं। यहाँ लोकचेतना से न जुड़ पाने का पीड़ाबोध है तो गाँव के अनेक पात्रों के जीवन-संघर्ष के माध्यम से उस चेतना के क्रियाशील स्वरूप का उद्घाटन भी है। अतिरिक्त साहित्यिकता से बचकर, सामाजिक यथार्थ का संकुल चित्रण करने हेतु कथाकार ने अपने अंचल की आत्मकथा लिख दी है।

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