बीसवीं सदी की हिंदी कथा-यात्रा (खंड 5)
₹260.00
चयन एवं संपादन : कमलेश्वर
सहायक : गायत्री कमलेश्वर
Description
इस बदले हुए यथार्थ की परिणति यह हुई कि मनुष्य को अपनी प्राचीन विरासत को एक ओर बचाने की चिंता हुई तो दूसरी ओर मध्यवर्गीय लोलुपतावश इस बदली परिस्थिति में किसी तरह अपनी जगह सुरक्षित कर लेने की होड़ भी दिखी। यह एक ऐसा संक्रमणकाल था जिसने गहरे तक मनुष्य को प्रभावित किया और इस अचानक अवस्थिति ने आशंका, आमादापन, विचलन और आत्मसजगता को उद्वेलित कर दिया।
इस खंड की कहानियों में इन विभिन्न स्थितियों, उनके प्रभावों को प्रतिनिधि रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इन कहानियों को पढ़ते हुए यह भी आभास हो सकेगा कि विभिन्न आप्रवासी रचनाकारों सहित भारत में रह रहे लेखकों की रचनाओं में भी लगभग एक-सी स्थितियाँ व्यक्त हो रही थीं। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस खंड में चयनित कहानियाँ एक पूरे कालखंड के यथार्थ को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में सफल होंगी।
बहुसम्मानित एवं समादृत कमलेश्वर हिंदी के प्रख्यात लेखक थे।
प्रतिष्ठित कथाकार गायत्री कमलेश्वर ने इस पुस्तक के संपादन में सहयोग किया है।