श्रीकांत वर्मा रचना – संयचन
₹300.00
लेखक : श्रीकांत वर्मा
चयन एवं संपादन : अरविन्द त्रिपाठी
Description
श्रीकांत वर्मा रचना-संचयन श्रीकांत वर्मा मुक्तिबोध की पीढ़ी के बाद के कवियों में अन्यतम वेचैन और उत्तप्त कवि इस मायने में ज़्यादा हैं कि उन्होंने अपनी कविता के ज़रिए न केवल अपने समय का सीधा, तीक्ष्ण और अंदर तक तिलमिला देनेवाला भयावह साक्षात्कार किया बल्कि हर अमानवीय ताक़त के विरुद्ध एक निर्मम भिड़ंत की है। इसीलिए उनकी कविता में नाराजगी, असहमति और विरोध का स्वर सबसे मुखर है। शायद इसीलिए वे सन् 60 के बाद की कविता के हिंदी के पहले नाराज़ कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए। वे एक ओर मानवीय संवेदना के गहन ऐंद्रिक प्रेम और दुखवोध के विरल कवि हैं तो दूसरी तरफ सामाजिक कर्म की कविता में नैतिक क्षोभ से उपजे सामाजिक हस्तक्षेप के दुर्लभ कवि हैं। वहुमुखी प्रतिभा के धनी श्रीकांत वर्मा अपनी साफगोई के लिए मशहूर और अपनी पारदर्शी भाषा के लिए अलग से पहचाने जाने वाले श्रीकांत वर्मा की प्रतिनिधि रचनाओं का यह संचयन निश्चय ही पाठकों के लिए एक धरोहर साबित होगा।