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नागार्जुन रचना-संचयन

200.00

नागार्जुन रचना-संचयन

200.00

संपादक: राजेश जोशी

 

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Description

निराला के बाद नागार्जुन अकेले ऐसे कवि हैं, जिन्होंने इतने छंद, इतने ढंग, इतनी शैलियाँ और इतने काव्य रूपों का इस्तेमाल किया है। प्रस्तुत चयन में नागार्जुन की कविता के साथ ही उनके गद्य से भी कुछ रचनाओं का चयन किया गया है। नागार्जुन कवि या उपन्यासकार की तरह अधिक जाने जाते हैं। लेकिन उन्होंने व्यक्तियों के संस्मरण और यात्रा-संस्मरण भी लिखे हैं, कई कहानियाँ भी और वैचारिक लेख भी। उनके सर्वाधिक चर्चित तीन उपन्यासों – रतिनाथ की चाची, बलचनमा और वरुण के बेटे से एक-एक अंश इसमें शामिल है। दो कहानियाँ, एक यात्रा-संस्मरण, एक निबंध, राहुल सांकृत्यायन और फणीश्वरनाथ रेणु पर दो संस्मरण, निराला पर लिखी उनकी छोटी-सी पुस्तक एक व्यक्ति: एक युग से एक अंश और सारिका में प्रकाशित होनेवाले चर्चित काॅलम ‘आईने के सामने’ के लिए लिखा गया एक आत्मकथ्य भी इस संचयन में संकलित हैं। इस छोटे-से खंड से नागार्जुन के गद्य की एक बानगी मिल सकेगी।
इस संचयन का संपादन हिंदी के प्रख्यात कवि, कथाकार, नाटककार और अनुवादक राजेश जोशी ने किया है।

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