रामधारी सिंह दिनकर रचना – संयचन
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संपादक : कुमार विमल
Description
रेणुका के रचनाकार दिनकर से दो धाराएँ फूटीं। सामाजिक चेतना और उपनिवेशवाद विरोध का भाव कुरुक्षेत्र में पूर्णता पाता है एवं सौंदर्य-प्रेम और रूपाकर्षण का प्रकर्ष उर्वशी में होता है। परवर्ती कविताओं में न केवल उनकी चमड़ी बदलती है, वरन् उनका रुधिर भी बदलता है। उपनिवेशवाद विरोधी युग की कविताओं में कोलाहल से निकलकर नीलकुसुम से हारे को हरिनाम तक में वे गहन प्रशांति के लोक में पहुँचकर ऐसी कविताओं की रचना करते हैं जिनमें आत्मा को चीरने की कोशिश है। वे निरतर विकसनशील संवेदना और उत्तर छायावाद काल के सबसे सशक्त कवि रहे हैं। प्रस्तुत संचयन में दिनकर की प्रतिनिधि पद्य और गद्य रचनाओं को संकलित किया गया है।