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हरि मोहन झा की श्रेष्ठ कथाएं

250.00

हरि मोहन झा की श्रेष्ठ कथाएं

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चयनकर्ता : राजमोहन झा और सुभाष चन्द्र यादव

अनुवादक : लावण्य कीर्ति सिंह ‘काव्या ‘

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Description

प्रस्तुत संग्रह में संकलित ‘पाँच पत्र’, ‘कन्याक जीवन’, रेलक अनुभव’, ‘मर्यादाक भंग’, ‘ग्राम सेविका’, ग्रेजुएट पुतोहु’, ‘विनिमय’ तथा ‘अलंकार शिक्षा’ को लेकर हरिमोहन झा की कथाओं की चौथी कोटि बनती है जिसमें उनकी उत्प्रेक्षा, भाषा का चमत्कार और प्रवाह, शैली की आत्मीयपूर्ण सहज भंगिमा और रसमयता तो वैसी ही प्राप्त होगी परंतु हास्य-व्यंग्य के स्थान पर मूल और केंद्रीय भाव तथा संवेदना करुणा मिलेगी। साथ ही, इन कथाओं में वैचारिक पक्ष अधिक स्फीत रूप में उभर कर आता है।

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